वो मुरीद है मेरा मेरे हुनर के बाईस
लोग शैदा होते है वरना जर के बाईस
कबका भूल गया होता घर गाँव का लेकिन
इक पहचान बाकि है सूखे शजर के बाईस
मैं सह नही सकता नशा नींद का लेकिन
रातों जाग सकता हूँ बज्मे सुखनवर के बाईस
कनखियों से घूरकर मुझे क्या देखा तुमने
दिल हो गया बिस्मिल तेगे नजर के बाईस
जर्फ़ वालों की कसौटी से निकला है जुमला
इश्क रोशन है यारों सितमगर के बाईस
बाप होने का हक अदा यूं किया उसने
हो गया नीलाम लख्ते-जिगर के बाईस
आवारगी ने तो कोई कमी न छोड़ी मगर
न हो सका आवारा बेचैन घर के बाईस
मुरीद=प्रसंशक, बाईस = कारण, शैदा- आशिक ,,जर=धन ,,,शजर- पेड़,,..बज्मे सुखनवर= कवि सम्मेलन ,,,,बिस्मिल= घायल ...तेगे नजर=निगाहों की तलवार....जर्फ़=श्रेष्ठ ....कसोटी=अनुभव ...लख्ते जिगर= दिल का टुकडा
लोग शैदा होते है वरना जर के बाईस
कबका भूल गया होता घर गाँव का लेकिन
इक पहचान बाकि है सूखे शजर के बाईस
मैं सह नही सकता नशा नींद का लेकिन
रातों जाग सकता हूँ बज्मे सुखनवर के बाईस
कनखियों से घूरकर मुझे क्या देखा तुमने
दिल हो गया बिस्मिल तेगे नजर के बाईस
जर्फ़ वालों की कसौटी से निकला है जुमला
इश्क रोशन है यारों सितमगर के बाईस
बाप होने का हक अदा यूं किया उसने
हो गया नीलाम लख्ते-जिगर के बाईस
आवारगी ने तो कोई कमी न छोड़ी मगर
न हो सका आवारा बेचैन घर के बाईस
मुरीद=प्रसंशक, बाईस = कारण, शैदा- आशिक ,,जर=धन ,,,शजर- पेड़,,..बज्मे सुखनवर= कवि सम्मेलन ,,,,बिस्मिल= घायल ...तेगे नजर=निगाहों की तलवार....जर्फ़=श्रेष्ठ ....कसोटी=अनुभव ...लख्ते जिगर= दिल का टुकडा
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