पहुँच कर हिज्र में सांसे यक-ब-यक डट गई है
यकीन है तो कर लो तुम बिन उम्र घट गई है
इंतिहा दर्द की मैं तुमको बता नही सकता
तुम्हे सोच सोच कर कैसे छाती फट गई है
हर सू दिखाई देता है तेरे बिछड़ने का गम
जब से वस्ल वाली मेरी खुशियाँ सिमट गई है
दो घड़ी तुझसे निगाह क्या मिलाई जादूगर
दुनिया की हर शै से अपनी नजर हट गई है
चाहे रोना ही आया हो हिस्से में बेचैन
तुझे मानना पड़ेगा तेरी किस्मत पलट गई है
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