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Saturday, 31 December 2011

नये साल से मेरी जान की तकदीर संवर जाए

नये साल से मेरी जान की तकदीर संवर जाए
मेरे इश्क के भगवान की तकदीर संवर जाए

जागते ही सुबह  कोई खुश खबरी मिले ख़ास
मेरी महोब्बत के ईमान की तकदीर संवर जाए

बचपन से देखा ख्वाब उसका हर हाल में हो पूरा
उसके हिस्से के आसमान की तकदीर संवर जाए

झुक ना पाए पलकें जब रफ्तार बढ़े धडकनों की
दोस्तों काश दिले नादान की तकदीर संवर जाए

हालात तो नही है बेचैन फिर दुआ तो दे देता हूँ
कैसे भी मेरे हिन्दुस्तान की तकदीर संवर जाए

2 comments:

Anonymous said...

bahut khoob bechain ji
nav varsh ki bahut bahut shubhkaamnaye
think positive

manoj hindustani said...

वाह शब्द ही नहीं है मेरे पास आपकी इस रचना की अंतिम पंक्तियों के लिए ...वाह