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Sunday, 4 December 2011

क्या करू बताओ...सुलझे हुवे आशिकों

दिल में उसका गम है पहलु में बोतल
क्या करू बताओ...सुलझे हुवे आशिकों

अव्वल दर्जे की बकवास निकली महोब्बत
मेरी जां बचाओ .सुलझे हुवे आशिकों

नीलाम ना हो जाये माँ बाप की इज्जत
मुझे राह दिखाओ .सुलझे हुवे आशिकों

तुमको भी कसम है अपने अपने प्यार की
मुझे मुर्ख ना बनाओ सुलझे हुवे आशिकों

क्यूं हो जाता है बेचैन दिल लगाकर इंसा
बात से पर्दा उठाओ सुलझे हुवे आशिकों

1 comment:

Anonymous said...

ghatiya