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Saturday, 19 November 2011

वो सूदखोर नही तो मतलबी जरुर है

ज़हाज़ उड़ाने का उसे काम क्या आया
व्यवहार भी कमबख्त हवाई करता है

यूं तो मिलता है मुझसे भी मुस्कुराकर
मगर पीठ पीछे वो बुराई करता है

मैं मरूंगा जब तुम समझोगे छोटे
क्यूं फ़िक्र का सौदा बड़ा भाई करता है

अपनेपन की उससे उम्मीद ना रखिये
जो शख्स रिश्तों को तमाशाई करता है

वो सूदखोर नही तो मतलबी जरुर है
पैसे की औकात से नपाई करता है

 उसको ही बेवकूफ कहती है दुनिया
बिना सोचे जो शख्स भलाई करता है

जीते जी कभी भी खुल सकते है बेचैन
वक्त जिन जख्मो की तुरपाई करता है