तेरे लबों को देखकर इक बात याद आई
गुलाब को भी अपनी औकात याद आई
सरे बज्म खिलखिलाकर तुम क्या हंसे
मुझको चांदनी की वो बरसात याद आई
मैं यूं इतराया अपनी खुशनसीबी पर
कॉलेज के दिनों की मुलाक़ात याद आई
अनजाने में जब मिलाया उसने हाथ
मेरे हिस्से की मुझको खैरात याद आई
अपनी तरह बेचैन जब देखा इक यार
हमें महोब्बत में मिली वो मात याद आई
गुलाब को भी अपनी औकात याद आई
सरे बज्म खिलखिलाकर तुम क्या हंसे
मुझको चांदनी की वो बरसात याद आई
मैं यूं इतराया अपनी खुशनसीबी पर
कॉलेज के दिनों की मुलाक़ात याद आई
अनजाने में जब मिलाया उसने हाथ
मेरे हिस्से की मुझको खैरात याद आई
अपनी तरह बेचैन जब देखा इक यार
हमें महोब्बत में मिली वो मात याद आई
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