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Saturday, 29 October 2011

जिन्हें मुकदर ना रास आया



खुदा करे वो भी रोये छिपकर
सुख के लम्हों को याद करके

हो इल्म उनको भी बेबसी का
पाकीज़ा उल्फत बर्बाद करके
तन्हाई दिल की करेगी बातें
देखिए खुद को नाशाद करके
ख़ुशी का दुगना मज़ा मिलेगा
देखो गम की फरियाद करके
ना छिप सकेगा असर उम्र का
जड़ी-बूटियों को इजाद करके
जिन्हें मुकदर ना रास आया
वो देखे मेहनत को याद करके
ना दे सकोगे फकीरों को कुछ
बेचैन दिल को फौलाद करके


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