हम मुद्तो रहे अपनी हद में
ना बढ़ पाए रुतबा-ए- कद में
जब से हुवे बदतमीज़ थोडा
नाम आ गया बडो की जद में
आज कुर्सी की बात ना करो
अजीब सी ताकत है पद में
खूब पछताए इक उम्र के बाद
जो चूर थे कभी अपने मद में
राज बेचैन होने का जान जाओगे
झांक कर देखो मुझ निखद में
1 comment:
wah wah wah
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