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Sunday, 5 July 2015

यूं सबके दर्द को अपनी आह ना दो

यूं सबके दर्द को अपनी आह ना दो
पछताओगे बिन मांगे सलाह ना दो

वक्त के साथ मिटती है तो मिटने दो
धुंधली यादों को ज्यादा पनाह ना दो

अब तो ख्यालों की चोरी खूब होती है
हर शेर पर नए शायर को वाह ना दो

कुछ वज़ूद के लिए भी बचाकर रखो
अपने मन की कभी सारी थाह ना दो

जैसे की अधेड़ उम्र की महोब्बत बेचैन
कदमो को बिन मंज़िल की राह ना दो

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