मर्दानी मह्बूबाओ से रूबरू करवाऊंगा तुझे
कभी हरियाणा में आ प्यार सिखाऊंगा तुझे
स्वीट डिश की परिभाषा समझ आ जाएगी
गुलगुले माँ के बनाये जब खिलाऊंगा तुझे
इश्क में सबकुछ जायज़ यहाँ क्यूँ नही होता
मर्यादाओ की एक फेहरिस्त दिखाऊंगा तुझे
लट्ठ गड़ने के पीछे जो दास्ताँ है मेरी जान
किसी रोज फुरसत में वो भी सुनाऊंगा तुझे
हरियाणवी पॉप जिसने मुंबई में भी बजवाया
आ उस के डी सिंगर से भी मिलवाऊंगा तुझे
ना मुराद को संदेश इतना है बस मेरी ओर से
मैं तो मरने के बाद भी मेरी जान चाहूंगा तुझे
जब तक नही सुलझती उलझने जिंदगानी की
बेचैन शायद ही अपना वक्त भी दे पाऊंगा तुझे
कभी हरियाणा में आ प्यार सिखाऊंगा तुझे
स्वीट डिश की परिभाषा समझ आ जाएगी
गुलगुले माँ के बनाये जब खिलाऊंगा तुझे
इश्क में सबकुछ जायज़ यहाँ क्यूँ नही होता
मर्यादाओ की एक फेहरिस्त दिखाऊंगा तुझे
लट्ठ गड़ने के पीछे जो दास्ताँ है मेरी जान
किसी रोज फुरसत में वो भी सुनाऊंगा तुझे
हरियाणवी पॉप जिसने मुंबई में भी बजवाया
आ उस के डी सिंगर से भी मिलवाऊंगा तुझे
ना मुराद को संदेश इतना है बस मेरी ओर से
मैं तो मरने के बाद भी मेरी जान चाहूंगा तुझे
जब तक नही सुलझती उलझने जिंदगानी की
बेचैन शायद ही अपना वक्त भी दे पाऊंगा तुझे
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