नामालूम कैसी कसक है नए युग के रिश्तों में
सोच सोचकर मन में ही पागल सा हो गया हूँ
सोच सोचकर मन में ही पागल सा हो गया हूँ
साया माँ बाप का जिस रोज से उठा है सर से
दरअसल उसी रोज से मैं कुछ बड़ा हो गया हूँ
दरअसल उसी रोज से मैं कुछ बड़ा हो गया हूँ
मिली है जिस रोज से अच्छे लोगो की सोहबत
जियादा नही थोड़ा बहुत मैं भी भला हो गया हूँ
जियादा नही थोड़ा बहुत मैं भी भला हो गया हूँ
कुछ रिश्तों को इस जन्म में फिर नही मिलूंगा
बेचैन उनके खातिर मैं सचमुच फना हो गया हूँ
बेचैन उनके खातिर मैं सचमुच फना हो गया हूँ
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