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Monday, 19 March 2012

आशिक ही नही रास्ते भी शुक्रिया जताते है

तुम्हारी जुल्फों के जो तार बंध नही पाते है
मेरे अरमां है वो जो हवा में लहराते है

मैं तो दूर हूँ कर लूँगा किसी तरह से सब्र
उनका क्या जो तुम्हे रोज देख पछताते है

नही दिखता जहाँ में कोई तुम जैसा दूसरा
हमसे हुस्न के रोजाना कारवां टकराते है

मुस्कुराते हुवे आप जिधर से भी गुजर जाते है
आशिक ही नही रास्ते भी शुक्रिया जताते है


इस जन्म में तुझे पाना कोरा ख्वाब है बेचैन
तेरी तस्वीर देख यूं आंसू निकल आते है

2 comments:

DR KARAN PUNIA said...

I need to compliment you .You were& are v v hard working .You command a special respect since the day I have known you .
DR KARAN PUNIA CARDIOLOGIST

DR KARAN PUNIA said...

my wishes to Genius VM BECHAIN