कुछ ना कहूं बस तुझे निहारता रहूँ
अश्कों से आरती उतारता रहूँ
सचमुच करूंगा इंतजार लेकिन बता
कितने युगों तक मन मारता रहूँ
बस इतनी इनायत करना राधे
ता-उम्र तेरा नाम पुकारता रहूँ
तुमको पाकर जग जीत लिया लेकिन
अपने आप से कब तक हारता रहूँ
किसी रोज तो देख तू आकर बेचैन
और कितना दर्द बता संवारता रहूँ
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