Friends

Monday, 24 December 2012

मैं कभी काबिल हुआ तो पास आकर छुडवा लूँगा
गिरवी है मेरा वजूद तेरे पास कभी भूलना मत

आज गलतफहमियों ने सर उठाया है तो क्या हुआ
गुज़रे दौर में था खूब इखलास कभी भूलना मत

आज मैं जा तो रहा हूँ जुदाई के जंगलों में लेकिन
एक दिन खत्म होगा मेरा बनवास कभी भूलना मत

चाहे कितनी ही गिर जाए ये सेहत मगर अक्सर
रखूंगा जान तेरे लिए उपवास कभी भूलना मत

बस इतना कह सकता है अपनी सफाई में बेचैन
मरकर भी रहेगी मुझे तेरी प्यास कभी भूलना मत 

No comments: