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Wednesday, 26 December 2012

देख तेरी नफरत के मैं कितना काम आ गया

माँ मेरी कहती थी मैं किसी भी काम का नही
देख तेरी नफरत के मैं कितना काम आ गया

बददुआओ और गालियों के लिए ही सही
मैं खुश हूँ तेरे लबो में मेरा नाम आ गया

गिडगिडाने से जहाँ खैरात तक ना मिलती हो
वही सर पर मेरे मुफ्त में इल्जाम आ गया

सचमुच आज पीने का मेरा मन नही था दोस्त
देखो फिर भी मुझे ढूंढ़ते हुवे जाम आ गया

सच बता मुझको बेचैन करने के बाद कितना
फीसद तुम्हारी कसमकश को आराम आ गया

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