शेर जंगल का हो या फिर किसी गजल का
वो जिधर भी जायेगा दहाड़ेगा जरुर
बुलंदी पर कब्जा करने वालों याद रखना
वक्त तुमको एक दिन पछाड़ेगा जरुर
जो बन्दर दिखता है तुम्हे गरूर के मारो
देख लेना वही लंका उजाडेगा जरुर
झूठ बोलकर गरीब का हक मरने वालों
पाप तुम्हारी जडो को उखाड़ेगा जरुर
गम न कर बेचैन सिफार्सियों का एक दिन
कोई मेहनतकश हुलिया बिगाड़ेगा जरुर
वो जिधर भी जायेगा दहाड़ेगा जरुर
बुलंदी पर कब्जा करने वालों याद रखना
वक्त तुमको एक दिन पछाड़ेगा जरुर
जो बन्दर दिखता है तुम्हे गरूर के मारो
देख लेना वही लंका उजाडेगा जरुर
झूठ बोलकर गरीब का हक मरने वालों
पाप तुम्हारी जडो को उखाड़ेगा जरुर
गम न कर बेचैन सिफार्सियों का एक दिन
कोई मेहनतकश हुलिया बिगाड़ेगा जरुर
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