हाँ तुम्हारी यादों को आग लगाकर आया हूँ
मैं आज ढंग से मयखाने में जाकर आया हूँ
सेहत की औकात से बढ़कर लगाकर ज़ाम
होश की धज्जिया मैं आज उड़ाकर आया हूँ
किसी का भी तो डर नही मुझे टोके जरा भी
मैं शराब की नदियाँ आज बहाकर आया हूँ
मय रगों में जब तक न बहेगी पीता रहूँगा
ये राज की बात किसी को बताकर आया हूँ
जब तक दम है इन आँखों में जिद छोड़ना मत
अपने आंसुओं को आज समझाकर आया हूँ
मिटा लूँगा खुद को वो ना आया तो बेचैन
मैं अपने अहसास की कसम खाकर आया हूँ
मैं आज ढंग से मयखाने में जाकर आया हूँ
सेहत की औकात से बढ़कर लगाकर ज़ाम
होश की धज्जिया मैं आज उड़ाकर आया हूँ
किसी का भी तो डर नही मुझे टोके जरा भी
मैं शराब की नदियाँ आज बहाकर आया हूँ
मय रगों में जब तक न बहेगी पीता रहूँगा
ये राज की बात किसी को बताकर आया हूँ
जब तक दम है इन आँखों में जिद छोड़ना मत
अपने आंसुओं को आज समझाकर आया हूँ
मिटा लूँगा खुद को वो ना आया तो बेचैन
मैं अपने अहसास की कसम खाकर आया हूँ
No comments:
Post a Comment