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Wednesday, 19 December 2012

फैंसला आज हमने एक अजब बदल लिया है


फैंसला आज हमने एक अजब बदल लिया है
जो कभी ना बदलना था वो सब बदल लिया है

पत्थर के खुदा अब तू बेशक से जी उठना
थक हार कर हमने अपना रब बदल लिया है

बकाया उम्र शायद अब कसमकश में न गुज़रे
हमने जिंदगी को जीने का सबब बदल लिया है

मन्दिरों में मुझको अब कभी तलाश मत करना
जाकर मस्जिद में हमने मजहब बदल लिया है

बहुत मायने रखती थी जो मेरे लिए कभी
बेचैन उन बातों का मतलब बदल लिया है

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