तुझसे तो कही बेहतर अंगूर की बेटी निकली
ढलते ही शाम देखकर मुझको मुस्कुरा देती है
जितना भी अहसान मानू कम है तन्हाइयों का
खूब रोने के बाद अश्को को सूखा देती है
दोस्तों बचपन से नफरत थी मुझको मयकशी से
उसकी याद मगर नफरतों को भूला देती है
आज मेरी तरफ है तो कल उसकी ओर होगा
यादें नम्बर से रोने का सिलसिला देती है
मैंने देखी है सच्ची महोब्बत में वो ताकत
तडफ तो वजूद की जडो तक को हिला देती है
इतनी पी ले बेचैन की हद की हद हो जाए
सुना है बेहोशी में मौत अपना बना लेती है
ढलते ही शाम देखकर मुझको मुस्कुरा देती है
जितना भी अहसान मानू कम है तन्हाइयों का
खूब रोने के बाद अश्को को सूखा देती है
दोस्तों बचपन से नफरत थी मुझको मयकशी से
उसकी याद मगर नफरतों को भूला देती है
आज मेरी तरफ है तो कल उसकी ओर होगा
यादें नम्बर से रोने का सिलसिला देती है
मैंने देखी है सच्ची महोब्बत में वो ताकत
तडफ तो वजूद की जडो तक को हिला देती है
इतनी पी ले बेचैन की हद की हद हो जाए
सुना है बेहोशी में मौत अपना बना लेती है
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