मन तो अपना कबका उड़ चुका बाकि
उसका अहसास है की छोड़ नही रहा
बकाया है इश्क की आखरी रिवायत
वो पूरी तरह से दिल तोड़ नही रहा
सोच क्या है किसी हद तक गिर सकती है
विचारो का आज कोई निचोड़ नही रहा
गुज़रा है ऐसी संकरी गलियों से जहन
जिंदगानी में अब ढंग का मोड़ नही रहा
तैयार है जवाब हर किसी का बेचैन
आज कोई भी रिश्ता बेजोड़ नही रहा
उसका अहसास है की छोड़ नही रहा
बकाया है इश्क की आखरी रिवायत
वो पूरी तरह से दिल तोड़ नही रहा
सोच क्या है किसी हद तक गिर सकती है
विचारो का आज कोई निचोड़ नही रहा
गुज़रा है ऐसी संकरी गलियों से जहन
जिंदगानी में अब ढंग का मोड़ नही रहा
तैयार है जवाब हर किसी का बेचैन
आज कोई भी रिश्ता बेजोड़ नही रहा
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