अभी रिश्तो में इतनी गिरावट आई नही है
वो बहन मुझे राखी बांधे जिनका भाई नही है
किसी की आँखों में देखू रक्षा बंधन पर आंसू
कम से कम मेरा ज़हन इतना तमाशाई नही है
हमारी ही कमी से है आज टोटा लडकियों का
इसमें कुदरत की कही से भी अगुआई नही है
सदा याद रखना बेटे की चाहत रखने वालों
बिना बेटी के मुक्ति देवो ने भी पाई नही है
महबूबा को परी कहने वालो सच सच बताओ
क्या बहन में बेचैन खूबसूरती समाई नही है
वो बहन मुझे राखी बांधे जिनका भाई नही है
किसी की आँखों में देखू रक्षा बंधन पर आंसू
कम से कम मेरा ज़हन इतना तमाशाई नही है
हमारी ही कमी से है आज टोटा लडकियों का
इसमें कुदरत की कही से भी अगुआई नही है
सदा याद रखना बेटे की चाहत रखने वालों
बिना बेटी के मुक्ति देवो ने भी पाई नही है
महबूबा को परी कहने वालो सच सच बताओ
क्या बहन में बेचैन खूबसूरती समाई नही है
1 comment:
वाह ! आप ऐसे-ऐसे ख्यालों को इतने गज़ब तरीके से ऐसे शब्दों की तुक में बांधते हैं कि हम सब तो बस अवाक् रह जाते हैं ! कमाल है ! कठोर और नीरस शब्द भी आपके ख्यालों से सरस और काव्यात्मक बन जाते है ! nirmal kothari
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