शक्ल मेरी बेशक लंगूर जैसी है
तकदीर मगर देखो हूर जैसी है
ताकत और मिठास देती है दोनों
महबूब की बातें खजूर जैसी है
मत सोचने दे मुझे राख हो जाऊंगा
ज़ज्बात की गर्मी तंदूर जैसी है
बस इसी बात का अफ़सोस है मुझे
वो करीब होकर भी दूर जैसी है
जब देखो पेचीदगी भरी दिखती है
आदत तेरी किसी दस्तूर जैसी है
वो कोशिश करे सूखकर किसमिस बने
जिस शख्स की हालत अंगूर जैसी है
अब इससे ज्यादा क्या कहूं बेचैन
पाकीजगी मुझमे सिन्दूर जैसी है
तकदीर मगर देखो हूर जैसी है
ताकत और मिठास देती है दोनों
महबूब की बातें खजूर जैसी है
मत सोचने दे मुझे राख हो जाऊंगा
ज़ज्बात की गर्मी तंदूर जैसी है
बस इसी बात का अफ़सोस है मुझे
वो करीब होकर भी दूर जैसी है
जब देखो पेचीदगी भरी दिखती है
आदत तेरी किसी दस्तूर जैसी है
वो कोशिश करे सूखकर किसमिस बने
जिस शख्स की हालत अंगूर जैसी है
अब इससे ज्यादा क्या कहूं बेचैन
पाकीजगी मुझमे सिन्दूर जैसी है
1 comment:
ram ram bhai
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