तलाश रहा हूँ सुबह से अल्फाज़ जिंदगी
बता तो क्या बोलू तुझे मैं आज जिंदगी
तेरी कसम बहुत रोता फाग के दिन मैं
बात नही करती गर तू आज जिंदगी
मुझे किस्मत बेशक शहनशा ना बनाये
मगर तुझे बोलता हूँ मुमताज़ ज़िदगी
हाँ पहले भी साँस के साथ बोला है
लव यूं फिर से बोलता हूँ आज जिंदगी
जो तुझे सुहाएगा वो गीत गाऊंगा
तू बजा कर देख कोई भी साज जिंदगी
तेरे रुठते ही बेचैन हो जाता हूँ
मुझपे गिरती है जोर से गाज जिंदगी
बता तो क्या बोलू तुझे मैं आज जिंदगी
तेरी कसम बहुत रोता फाग के दिन मैं
बात नही करती गर तू आज जिंदगी
मुझे किस्मत बेशक शहनशा ना बनाये
मगर तुझे बोलता हूँ मुमताज़ ज़िदगी
हाँ पहले भी साँस के साथ बोला है
लव यूं फिर से बोलता हूँ आज जिंदगी
जो तुझे सुहाएगा वो गीत गाऊंगा
तू बजा कर देख कोई भी साज जिंदगी
तेरे रुठते ही बेचैन हो जाता हूँ
मुझपे गिरती है जोर से गाज जिंदगी
No comments:
Post a Comment