अगर मुझको भ्रम है तो मेरा भ्रम तोड़ दो
नही बिगड़ा है अब भी कुछ, मुझको छोड़ दो
मन के किसी कोने में गर दिल्लगी का भूत है
जितना जल्दी हो सके उसका सर फोड़ दो
जा नही करता तेरे प्यार की मजदूरी
चुपचाप गरीब आशिक का हिसाब जोड़ दो
हो सके तो खाना रहम मेरा पहला प्यार है
कही ऐसा ना निम्बू सा मुझको निचोड़ दो
बस तेरा नाम लेकर मिल लेंगे बेचैन
चाहे जहाँ भर के गम मेरी और मोड़ दो
नही बिगड़ा है अब भी कुछ, मुझको छोड़ दो
मन के किसी कोने में गर दिल्लगी का भूत है
जितना जल्दी हो सके उसका सर फोड़ दो
जा नही करता तेरे प्यार की मजदूरी
चुपचाप गरीब आशिक का हिसाब जोड़ दो
हो सके तो खाना रहम मेरा पहला प्यार है
कही ऐसा ना निम्बू सा मुझको निचोड़ दो
बस तेरा नाम लेकर मिल लेंगे बेचैन
चाहे जहाँ भर के गम मेरी और मोड़ दो
1 comment:
वाह जहांपनांह वाह
Post a Comment