महबूब से बिछड़कर कौन खुश रह पाया है
खुद ही बोल इस हफ्ते कितना मुस्कुराया है
पिछले दो महीनो की तस्वीरे भेज रहा हूँ
देख कर बता नूरे-शक्ल कितना गवांया है
साफ़ साफ़ बक दिए हालात जिसने दिल के
बाद में उसी का लोगों ने मजाक उड़ाया है
माँ के मरने पर भी ना रोया हूँ इतना
तुम्हारी नाराजगी ने जितना रुलाया है
मुआमला इश्क का हो व्यापार का बेचैन
ना ज़हन में रख दिक्कतों ने यही सिखाया है
खुद ही बोल इस हफ्ते कितना मुस्कुराया है
पिछले दो महीनो की तस्वीरे भेज रहा हूँ
देख कर बता नूरे-शक्ल कितना गवांया है
साफ़ साफ़ बक दिए हालात जिसने दिल के
बाद में उसी का लोगों ने मजाक उड़ाया है
माँ के मरने पर भी ना रोया हूँ इतना
तुम्हारी नाराजगी ने जितना रुलाया है
मुआमला इश्क का हो व्यापार का बेचैन
ना ज़हन में रख दिक्कतों ने यही सिखाया है
1 comment:
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