उम्र भर के साथ को तो गोली मारो
वो हमसे दो दिन में ही खफा हो गये
मुद्दत से भर रहा था जिनमे में रंग
झटके में ख्वाब सारे सफा हो गये
ज़ज्बात का खरगोश निशाना था उसका
कमबख्त करके शिकार दफा हो गये
यह खूब रही इश्क ने राख कर डाला
जलाकर मुझे कमबख्त धुंआ हो गये
गम का जश्न मना बोतल खोल ले बेचैन
सब वादे महोब्बत के जफा होग गये
वो हमसे दो दिन में ही खफा हो गये
मुद्दत से भर रहा था जिनमे में रंग
झटके में ख्वाब सारे सफा हो गये
ज़ज्बात का खरगोश निशाना था उसका
कमबख्त करके शिकार दफा हो गये
यह खूब रही इश्क ने राख कर डाला
जलाकर मुझे कमबख्त धुंआ हो गये
गम का जश्न मना बोतल खोल ले बेचैन
सब वादे महोब्बत के जफा होग गये
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