वो हवा बन करके सांसो में यूं बहता है
खुशबू का झोंका जैसे गुलों में रहता है
मेरी हरकतों में जाने ऐसा क्या हो गया
हर शख्स मुझको अब दीवाना कहता है
रखी गई हो जिस पर झूठ की बुनियाद
महोब्बत में वो किला बनते ही ढहता है
अबतक इसीलिए शायद धडक रहा है दिल
वो लहू बनकर रगों में हर वक्त बहता हैं
अपनापन तो उससे हो गया है बेचैन
बेगानों के नखरो को भला कौन सहता है
खुशबू का झोंका जैसे गुलों में रहता है
मेरी हरकतों में जाने ऐसा क्या हो गया
हर शख्स मुझको अब दीवाना कहता है
रखी गई हो जिस पर झूठ की बुनियाद
महोब्बत में वो किला बनते ही ढहता है
अबतक इसीलिए शायद धडक रहा है दिल
वो लहू बनकर रगों में हर वक्त बहता हैं
अपनापन तो उससे हो गया है बेचैन
बेगानों के नखरो को भला कौन सहता है
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