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Saturday, 10 December 2011

वो भी शादीशुदा निकली मेरे भी दो साले है

खुदा जाने क्या होगा बड़े गडबड घोटाले है
वो भी शादीशुदा निकली मेरे भी दो साले है

उम्र के इस दोराहे पर ख़ाक इकरार कर ले हम
ज़िम्मेदारी के दोनों ने गले में पट्टे डाले है

गिरे है सर के बल यारों अब तक तो वो लोग
बुढ़ापे में आशिकी के जिसने भी पर निकाले है

ज़ुल्फ़ को रंग देने से रंगने से कभी उम्र नही घटती
अलग महफ़िल में दीखते है जिनके बाल काले है

बुरा मत मानना मेरे महबूब मेरे दोस्त
आज हम जैसो के कारण दोस्ती में उजाले है

कही भी दिल लगा लूं मैं झट से टांग अदा देंगे
एक बीवी और दो बच्चे मेरे ऐसे घरवाले है

उन्हें बेचैन मत करना जो मुझको चाहते है मौला
बड़ी मुश्किल से यारों ने एक दो यार सम्भाले है


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