कल जिसे ऊँगली पकड़ चलना सिखाया था
आज हमसे ही दौड़ने की शर्त लगा गया
अहसान फरामोशों की बढ़ रही है तादाद
मेरे अल्लाह जमी पर ये कैसा वक्त आ गया
उस दिन समझा औलाद की समझदारी
जब बेटा अपने बाप को नादान बता गया
वो कुत्ते पर जितना आये रोज खर्चता है
गरीब का कुनबा उतने में महिना चला गया
जिस अदा से किया है मुझे बेचैन उसने
अपना तो यारी से भरोसा उठ सा गया
आज हमसे ही दौड़ने की शर्त लगा गया
अहसान फरामोशों की बढ़ रही है तादाद
मेरे अल्लाह जमी पर ये कैसा वक्त आ गया
उस दिन समझा औलाद की समझदारी
जब बेटा अपने बाप को नादान बता गया
वो कुत्ते पर जितना आये रोज खर्चता है
गरीब का कुनबा उतने में महिना चला गया
जिस अदा से किया है मुझे बेचैन उसने
अपना तो यारी से भरोसा उठ सा गया
No comments:
Post a Comment