बचूंगा तो नही फिर भी आजमा लेता हूँ
सितमगर के नाम पर ज़हर खा लेता हूँ
जब भी आया है कोई ख़ास चेहरा सामने
एक बारगी देखकर आँखे झुका लेता हूँ
यारों की महोब्बत का कमाल है वरना
मैं तो नही मानता मैं अच्छा गा लेता हूँ
यूं करता हूँ इबादत की रस्म अदायगी
रोजाना माँ के पैरों में सर झुका लेता हूँ
नही मालूम कब बनती है अच्छी गजल
मैं कलम तो बेचैन रोजाना चला लेता हूँ
सितमगर के नाम पर ज़हर खा लेता हूँ
जब भी आया है कोई ख़ास चेहरा सामने
एक बारगी देखकर आँखे झुका लेता हूँ
यारों की महोब्बत का कमाल है वरना
मैं तो नही मानता मैं अच्छा गा लेता हूँ
यूं करता हूँ इबादत की रस्म अदायगी
रोजाना माँ के पैरों में सर झुका लेता हूँ
नही मालूम कब बनती है अच्छी गजल
मैं कलम तो बेचैन रोजाना चला लेता हूँ
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