माँ और गरीबी को जिसने भुलाया है
बुलंदी से वो शख्स जमीं पर आया है
खूब खाता है रिश्तेदारों से गालियाँ
औकात को जिसने कच्चा चबाया है
निखरी है और भी उसकी कामयाबी
बुजुर्गों से जिसने आशीर्वाद पाया है
वक्त के इंतिहान में मार गया बाज़ी
नसीब को जिसने आइना दिखाया है
अब नही निकलते चिरागों से जिन्न
जो जान गया उसने कमाकर खाया है
वो संस्कारों को पटरी से उतरें है बेचैन
औलाद को जिसने सर पर चढ़ाया है
बुलंदी से वो शख्स जमीं पर आया है
खूब खाता है रिश्तेदारों से गालियाँ
औकात को जिसने कच्चा चबाया है
निखरी है और भी उसकी कामयाबी
बुजुर्गों से जिसने आशीर्वाद पाया है
वक्त के इंतिहान में मार गया बाज़ी
नसीब को जिसने आइना दिखाया है
अब नही निकलते चिरागों से जिन्न
जो जान गया उसने कमाकर खाया है
वो संस्कारों को पटरी से उतरें है बेचैन
औलाद को जिसने सर पर चढ़ाया है
1 comment:
बहूत सुंदर और सटीक लिखा है ...!!
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