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Monday, 21 November 2011

काश कुछेक लोगों से रिश्तेदारी ना होती


वो दूर है इसलिए तो याद आता है अक्सर
होते एक ही शहर में तो बेकरारी ना होती

जीऊंगा जब तक ना मिट सकेगा ये धोखा
काश कुछेक लोगों से रिश्तेदारी ना होती

मिल ही जाता हाथों हाथ मेहनत का फल
गर मुझसे मेरे नसीब की पर्देदारी ना होती

ख़ाक खूब पीते है वो लोग जमाने में
सर पर जिसके किसी की उधारी ना होती

आ ही जाती समझ में अगर बात संतों की
फिर दुनिया में बेचैन मारा मारी ना होती

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