शुक्र है सम्भाल लिया कलम ने मुझे
वरना मार डाला था तेरे गम ने मुझे
बेशक तुझे पाने का जज्बा था मगर
सनकी किया किस्मत ने भ्रम ने मुझे
किसी का हाथ नही बुलंदी के पीछे
यहाँ तक पहुँचाया है मेरे करम मुझे
बेबसी की कहानी मैं ही जानता हूँ
बहुत तडफाया झूठी कसम ने मुझे
खुल गये है टाँके जख्मों के बेचैन
जब भी कुरेदा है तेरी नज्म ने मुझे
2 comments:
kaya baat hai ye hunar kaha se sikha mere dost....................
shandar yar
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