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Friday, 28 December 2012

मत मारो मुझे बेमौत अल्लाह के लिए

मुआफ़ कर दो मुझे मेरे गुनाह के लिए
लौट आओ दिल से उठती आह के लिए

बस एक बार आकर मेरे अश्क पोंछ दो
रो रहा हूँ कब से तेरी पनाह के लिए

अ इश्क मुझे अपना घर भी देखना है
मत मारो मुझे बेमौत अल्लाह के लिए

दर्द कम करने के लिए चला लेता हूँ कलम
वरना कभी नही लिखता मैं वाह के लिए

तुम्हारे साथ की आज बेहद जरूरत है
बेचैन को कामयाबी की राह के लिए






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