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Wednesday, 12 December 2012

यूं भी और यूं भी गर मौत को ही आना है तो


यूं भी और यूं भी गर मौत को ही आना है तो
शराब भी पीजिये जनाब ऊपर ही जाना है तो

फर्क नही पड़ता कुछ भी थोड़ी पीओ या जियादा
मयकश ही कहेंगे सब हाथ में पैमाना है तो

वो गम मेरा समझेगा क्यूं रोजाना पीता हूँ
कभी भी उसने अगर मुझे अपना माना है तो

दर्दे दिल के मारे कम से कम मिलेंगे वहां पर
इलाके में जिनके भी यारो मयखाना है तो

कहो किसलिए गाऊँ मैं गजले लोगों की लिखी
गुनगुनाऊंगा नाम तेरा कुछ गुनगुनाना है तो

बेचैन आखरी दम तक यूं ही इबादत करना
उसके अहसास में दिल तेरा दीवाना है तो

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