कोई हमें भी तो बताये मामलात क्या है
हंगामा बरप रहा है आखिर बात क्या है
दोस्ती से बढ़कर नही होता कोई रिश्ता
फिर महबूबाओ की कहिये औकात क्या है
वो पास होता तो समझाता बारीकी सी
अब दूर बैठे क्या समझाये ज़ज्बात क्या है
मुफलिसों को टका सा जवाब देने वालों
पहले यह तो पूछ लो तुमसे सवालात क्या है
रोज लुटती आबरू देख कर कोई तो बताये
बेबस के लिए शहर क्या है जंगलात क्या है
बरसों बाद मिलने का करार देने वाले
बता तो सही साल महीने दिन लम्हात क्या है
रूबरू नही तो कम से कम ख्वाब में ही बोल
बेचैन को लेकर तेरे ख्यालात क्या है
हंगामा बरप रहा है आखिर बात क्या है
दोस्ती से बढ़कर नही होता कोई रिश्ता
फिर महबूबाओ की कहिये औकात क्या है
वो पास होता तो समझाता बारीकी सी
अब दूर बैठे क्या समझाये ज़ज्बात क्या है
मुफलिसों को टका सा जवाब देने वालों
पहले यह तो पूछ लो तुमसे सवालात क्या है
रोज लुटती आबरू देख कर कोई तो बताये
बेबस के लिए शहर क्या है जंगलात क्या है
बरसों बाद मिलने का करार देने वाले
बता तो सही साल महीने दिन लम्हात क्या है
रूबरू नही तो कम से कम ख्वाब में ही बोल
बेचैन को लेकर तेरे ख्यालात क्या है
No comments:
Post a Comment