Friends

Friday, 27 July 2012

हां सांसो की सबसे पहली हकदार हो तुम

मेरे दिल के थाने की थानेदार हो तुम
अब कितनी दफा समझाऊ मेरा प्यार हो तुम

जिद छोड़ भी दे बिना बात नाराज होने की
मेरी सबसे बड़ी जीत और हार हो तुम

मैं अक्स हूँ तुम्हारा कोई आशिक नही हूँ
कहो किस बात पर फिर इतना शर्मसार हो तुम

वक्त और किस्मत ने चाहा तो मिल जायेगे
वरना जन्म भर का मेरा इंतजार हो तुम

तुम ही लहू बनकर दौड़ रही हो रगों में
हां सांसो की सबसे पहली हकदार हो तुम

तेरी तस्वीर देख कर ही खिल उठता हूँ
सचमुच मेरे लिए मौसमे बहार हो तुम

नही है कोई तुझसा जमाने में बेचैन
बस अहसास में इसलिए गिरफ्तार हो तुम

No comments: