दिन भर ख्यालो में रात ख्वाब में दिखता है
पढने बैठता हूँ तो किताब में दिखता है
जब भी जाता हूँ टहलने गुलशन में यारो
नामुराद का चेहरा गुलाब में दिखता है
गम गलत करने को क्या ख़ाक जाऊ मयखाने
वो कमबख्त मुझको अब शराब में दिखता है
मुझे देख रहे है घूरकर इसीलिए लोग
वो शायद मेरी हालत खराब में दिखता है
आइना तू क्या बतायेगा राज की बात
यह सच है वो चश्मे- पुरआब में दिखता है
मैं या मेरा भगवान ही जानता है सब
वो कैसे ज़हन के इन्कलाब में दिखता है
मैं हरेक बात का जिक्र अब क्या करू बेचैन
वो आहों के इक इक हिसाब में दिखता है
चश्मे- पुरआब=आंसूओ से भरी आँखे
पढने बैठता हूँ तो किताब में दिखता है
जब भी जाता हूँ टहलने गुलशन में यारो
नामुराद का चेहरा गुलाब में दिखता है
गम गलत करने को क्या ख़ाक जाऊ मयखाने
वो कमबख्त मुझको अब शराब में दिखता है
मुझे देख रहे है घूरकर इसीलिए लोग
वो शायद मेरी हालत खराब में दिखता है
आइना तू क्या बतायेगा राज की बात
यह सच है वो चश्मे- पुरआब में दिखता है
मैं या मेरा भगवान ही जानता है सब
वो कैसे ज़हन के इन्कलाब में दिखता है
मैं हरेक बात का जिक्र अब क्या करू बेचैन
वो आहों के इक इक हिसाब में दिखता है
चश्मे- पुरआब=आंसूओ से भरी आँखे
No comments:
Post a Comment