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Friday, 8 June 2012

विज्ञापनबाज़ी में फंस अखबार गिर गये

बाकि तो सब ठीक है पर किरदार गिर गये
भाईचारे के हर तरफ व्यवहार गिर गये

खबरों की प्रधानता तो अब रही ही नही
विज्ञापनबाज़ी में फंस अखबार गिर गये

खुदगर्जी ने कर डाले इस कदर अंधे
दूर दूर तक सब रिश्तेदार गिर गये

ख़ाक करेगा आम आदमी खरीदारी
शापिंग मॉल में ढलकर बाज़ार गिर गये

अब तो फूलों से ही खरी चुभन मिलती है
तीखे तेवरों वाले सब खार गिर गये

क्यूं नही होगा कत्ल अहसास का बेचैन
रिश्तों के जब सारे एतबार गिर गये

1 comment:

bhagat said...

wah bhai wah!