कुछ दोस्त कमीने निकले कुछ वक्त खराब था
मैं उन दिनों वरना सौ फीसदी कामयाब था
कब सोचा था नागफनी मेरे आंगन में उगे
मेरी सोच में बचपन से महकता गुलाब था
हां साज़िसों के आगे बेबस थी मेरी तकदीर
बेईमानों के झुण्ड में मैं अकेला जनाब था
मेरे साथ यारों को हिस्से का आसमां मिले
यही तो जुर्म था मेरा बस यही इक ख्वाब था
चलेगी साँस जब तलक ना भूलूंगा वो मंजर
मेरी बर्बादी का हर एक कदम लाजवाब था
नही मालूम क्यूं हो गया था सफर बनवास
मेरे पास मेरी मेहनत का पूरा हिसाब था
अब तू मिल गया है मुझे फिर बना लूँगा महल
पूछा तो खंडहरों का बेचैन यही जवाब था
मैं उन दिनों वरना सौ फीसदी कामयाब था
कब सोचा था नागफनी मेरे आंगन में उगे
मेरी सोच में बचपन से महकता गुलाब था
हां साज़िसों के आगे बेबस थी मेरी तकदीर
बेईमानों के झुण्ड में मैं अकेला जनाब था
मेरे साथ यारों को हिस्से का आसमां मिले
यही तो जुर्म था मेरा बस यही इक ख्वाब था
चलेगी साँस जब तलक ना भूलूंगा वो मंजर
मेरी बर्बादी का हर एक कदम लाजवाब था
नही मालूम क्यूं हो गया था सफर बनवास
मेरे पास मेरी मेहनत का पूरा हिसाब था
अब तू मिल गया है मुझे फिर बना लूँगा महल
पूछा तो खंडहरों का बेचैन यही जवाब था
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