इक शख्स से मुझको बदला लेना है
कोई तो सीखा दे मुझे नाराज होना
रिश्तो पर नजर तो रखे मगर हद में
अच्छा नही है इंसान का बाज़ होना
जमाने की तरह दे दूं धोखा मगर
मैं चाहता ही नही दगाबाज़ होना
सब दौलत के ही बूते की बात है
कौन सी महाभारत है ताज होना
बता कैसे होगा कल वो सब बेचैन
जो तकदीर में लिखा है आज होना
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