तेरी याद में रोते रोते सो गया था कल
इसलिए नींद में भी सुबकियां आती रही
उधर तू अपना शक समेटने में रहा उम्र भर
इधर बेबसी अपना रंग-रूप दिखाती रही
मेरे जज़्बात के संग खेलकर इत्मिनान से
बता तो क्यूं मुझको बेवकूफ बनाती रही
क्यूं नही बताती उसमे वो बेवफा तुम थी
वो कहानी जो तुम लोगों को सुनाती रही
गर बेचैन नही था मुझको लेकर तेरा दिल
किसलिए बार बार झूठी कसमे खाती रही
इसलिए नींद में भी सुबकियां आती रही
उधर तू अपना शक समेटने में रहा उम्र भर
इधर बेबसी अपना रंग-रूप दिखाती रही
मेरे जज़्बात के संग खेलकर इत्मिनान से
बता तो क्यूं मुझको बेवकूफ बनाती रही
क्यूं नही बताती उसमे वो बेवफा तुम थी
वो कहानी जो तुम लोगों को सुनाती रही
गर बेचैन नही था मुझको लेकर तेरा दिल
किसलिए बार बार झूठी कसमे खाती रही
1 comment:
उधर तू अपना शक समेटने में रहा उम्र भर
इधर बेबसी अपना रंग-रूप दिखाती रही
badiya hai....
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