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Sunday, 25 December 2011

बता तो क्यूं मुझको बेवकूफ बनाती रही

तेरी याद में रोते रोते सो गया था कल
इसलिए नींद में भी सुबकियां आती रही

उधर तू अपना शक समेटने में रहा उम्र भर
इधर बेबसी अपना रंग-रूप दिखाती रही

मेरे जज़्बात के संग खेलकर इत्मिनान से
बता तो क्यूं मुझको बेवकूफ बनाती रही

क्यूं नही बताती उसमे वो बेवफा तुम थी
वो कहानी जो तुम लोगों को सुनाती रही

गर बेचैन नही था मुझको लेकर तेरा दिल
किसलिए बार बार झूठी कसमे खाती रही

1 comment:

***Punam*** said...

उधर तू अपना शक समेटने में रहा उम्र भर
इधर बेबसी अपना रंग-रूप दिखाती रही

badiya hai....