चाहता हूँ मुलाकात हो पर रूबरू नही
रोजाना उनसे बात हो पर रूबरू नही
इक दूजे को समझाने और कुछ बताने में
चाहे जख्मी ख्यालात हो पर रूबरू नही
बनकर भ्रम उनकी मैं रूह से चिपक जाऊ
इक ऐसी करामात हो पर रूबरू नही
हम जिम्मेदारियों को भी हरगिज़ दगा ना दे
अहसास की औकात हो पर रूबरू नही
वो प्यार करे जिस भी पल अपने आप से
मेरे हिस्से भी खैरात हो पर रूबरू नही
होकर बेचैन मुझको महसूस वो करें
uske दिल पे मेरे हाथ हो पर रूबरू नही
रोजाना उनसे बात हो पर रूबरू नही
इक दूजे को समझाने और कुछ बताने में
चाहे जख्मी ख्यालात हो पर रूबरू नही
बनकर भ्रम उनकी मैं रूह से चिपक जाऊ
इक ऐसी करामात हो पर रूबरू नही
हम जिम्मेदारियों को भी हरगिज़ दगा ना दे
अहसास की औकात हो पर रूबरू नही
वो प्यार करे जिस भी पल अपने आप से
मेरे हिस्से भी खैरात हो पर रूबरू नही
होकर बेचैन मुझको महसूस वो करें
uske दिल पे मेरे हाथ हो पर रूबरू नही
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