इतना भी ना सोचो की दिमाग खराब हो
सवाल उलझते-उलझते लाजवाब हो
रोजाना खुदा से दुआ ये मांगता हूँ मैं
ना मेरे हाथों आज कोई भी अजाब हो
दिवार बटवारे की अगर नही चाहते हो
भाई से भाई का ना कोई हिसाब हो
आँखों की नमी दिलजला देती है बना
आंसू न मेरी तरह किसी के तेज़ाब हो
इतनी मेहर करना खुदा हम दीवानों पर
हालत ना इश्क में कभी भी इज़्तिराब हो
बेटी ही महकाती है घर और आंगन को
बेचैन ऐसा सबके हिस्से में गुलाब हो
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