जानता हूँ दीवाने और क्या करते है
महबूब की यादों का नशा करते है
किसी भी बहाने सज़ा मिलती ह
महोब्बत में जो लोग दगा करते है
मंदिरों में जाकर माथा रगड़ने वाले
वजूद की पत्थरों से चुगलियाँ करते है
जंग के साये कम से कम सयाने लोग
अमन और सलामती की दुआ करते है
ता-उम्र दुःख पाते हैं बेचैन वो लोग
हर किसी पर जो भरोसा करते है
महबूब की यादों का नशा करते है
किसी भी बहाने सज़ा मिलती ह
महोब्बत में जो लोग दगा करते है
मंदिरों में जाकर माथा रगड़ने वाले
वजूद की पत्थरों से चुगलियाँ करते है
जंग के साये कम से कम सयाने लोग
अमन और सलामती की दुआ करते है
ता-उम्र दुःख पाते हैं बेचैन वो लोग
हर किसी पर जो भरोसा करते है
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