सच पूछिए तो मैं बेहद गरीब हूँ
हालात से लड़ता हुआ नसीब हूँ
हर फैसला दिल पर छोड़ देता हूँ
अपने दिमाग का खुद रकीब हूँ
तन्हाई में खुद से बात करता हूँ
इसलिए मैं दूसरों से अजीब हूँ
निकलवा ही लेते हैं मुझसे काम
जिनके लिए मैं एक तरकीब हूँ
पसंद नही बकवासमंदो को बेचैन
उनके सर पर मैं लटकती सलीब हूँ
No comments:
Post a Comment