खुदा जब करामात करेगा
फैंसले हाथों हाथ करेगा
मतलबियों के मोहल्ले में
कौन गहरे ज़ज्बात करेगा
वो नेता जी है आदमी नही
क्यूं भूखों का साथ करेगा
फिर खोली है जुल्फें उसने
फिर वो दिन को रात करेगा
शादी शुदा से दिल लगाकर
कौन जख्मी ख्यालात करेगा
बड़े से बड़ा चोर भी बेचैन
घर से ही शुरुआत करेगा
8 comments:
kamal kar diya ji
kamaal
bahut khoob..... bechain ji ...aap se judkar acchha laga...
wo neta hai aadmi nhin kyon bhukon se pyar karege..........why to put g before neta?.........................achhi lgi
एक छोटी सी बात पर परिवार बदलते देखे है,
जरुरत पड़ी तो सब रिश्तेदार बदलते देखे है,
अब यकीन सा उठ चला, हर शख्स से "प्रभात"
मैंने अक्सर अपनों के किरदार बदलते देखे है.
कवि प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
ब्लॉग का पता : http://prabhat-wwwprabhatkumarbhardwaj.blogspot.com/
कमाल है जी आप भी .....जय हो......
baut umda..
THNX DOSTON
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