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Sunday 31 July 2011

नशे की मां भी मर गई, अब क्यों ना सोया जाये

जो पी थी वो उतर गई, अब क्यों ना सोया जाये
नशे की मां भी मर गई, अब क्यों ना सोया जाये
मकसद हो ही गया पूरा पलके झिलमिलाने का
याद में आँख भी भर गई अब क्यों ना सोया जाये
देख लेना जफा से चिड उसे ता-उम्र रहेगी दोस्त
मेरी बातों से वो डर गई अब क्यों ना सोया जाये
जता दू शुक्रिया पर्वत दिगारे दो जहाँ वाले का
मेरी हरकते भी संवर गई अब क्यों ना सोया जाये
यही थी आरजू कब से लो अब वो पूरी हो ही गई
मुझे वो बेचैन भी कर गई अब क्यों ना सोया जाये

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