Friends

Sunday, 22 July 2012

इक शक्स तो बताओ जिसे चैन हो यारो

एक काम की बात चलो सबको बताते है
दुश्मन होते नही है हम खुद ही बनाते है

खुद जैसा समझ लेते है सामने वाले को
बस सबसे बड़ी भूल हम यही कर जाते है

अक्सर रिश्तों से वही लोग मार खाते है
अपने शक को जो ओढ़ते और बिछाते है

कमबख्त वही बन जाते है नासूर दिल के
रो रोकर जिस पर भी अपना हक जताते है

इक शक्स तो बताओ जिसे चैन हो यारो
लोग बेकार ही मुझको  बेचैन बताते है

No comments: