एक काम की बात चलो सबको बताते है
दुश्मन होते नही है हम खुद ही बनाते है
खुद जैसा समझ लेते है सामने वाले को
बस सबसे बड़ी भूल हम यही कर जाते है
अक्सर रिश्तों से वही लोग मार खाते है
अपने शक को जो ओढ़ते और बिछाते है
कमबख्त वही बन जाते है नासूर दिल के
रो रोकर जिस पर भी अपना हक जताते है
इक शक्स तो बताओ जिसे चैन हो यारो
लोग बेकार ही मुझको बेचैन बताते है
दुश्मन होते नही है हम खुद ही बनाते है
खुद जैसा समझ लेते है सामने वाले को
बस सबसे बड़ी भूल हम यही कर जाते है
अक्सर रिश्तों से वही लोग मार खाते है
अपने शक को जो ओढ़ते और बिछाते है
कमबख्त वही बन जाते है नासूर दिल के
रो रोकर जिस पर भी अपना हक जताते है
इक शक्स तो बताओ जिसे चैन हो यारो
लोग बेकार ही मुझको बेचैन बताते है
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