मुझको जैसे मेरी वफा ने डूबोया है
तुमको तुम्हारी इक खता ने डूबोया है
हरेक मौज चिल्लाकर गवाही दे रही है
कश्ती को यारों नाखुदा ने डूबोया है
मरने के बाद भी जिसे जिन्दा रहना था
उस अहसास को तो दगा ने डूबोया है
पत्थर पूजने का हश्र मालूम हुआ जब से
रो रहा हूँ मुझको श्रद्धा ने डूबोया है
बाप पर तो इल्ज़ाम लगा भी दोगे मगर
किस मुह से कहोगे मुझे माँ ने डूबोया है
सच्ची होती तो शायद जी लेता कुछ दिन
मुझे तुम्हारी झूठी अदा ने डूबोया है
घुटनों के बल ही चला था प्यार अभी बेचैन
जिसको तुम्हारे डर की सदा ने डूबोया है
तुमको तुम्हारी इक खता ने डूबोया है
हरेक मौज चिल्लाकर गवाही दे रही है
कश्ती को यारों नाखुदा ने डूबोया है
मरने के बाद भी जिसे जिन्दा रहना था
उस अहसास को तो दगा ने डूबोया है
पत्थर पूजने का हश्र मालूम हुआ जब से
रो रहा हूँ मुझको श्रद्धा ने डूबोया है
बाप पर तो इल्ज़ाम लगा भी दोगे मगर
किस मुह से कहोगे मुझे माँ ने डूबोया है
सच्ची होती तो शायद जी लेता कुछ दिन
मुझे तुम्हारी झूठी अदा ने डूबोया है
घुटनों के बल ही चला था प्यार अभी बेचैन
जिसको तुम्हारे डर की सदा ने डूबोया है
1 comment:
हरेक मौज चिल्लाकर गवाही दे रही है
कश्ती को यारों नाखुदा ने डूबोया है
बहुत खूब....!
Post a Comment